बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 संस्कृत व्याकरण एवं भाषा-विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 संस्कृत व्याकरण एवं भाषा-विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 संस्कृत व्याकरण एवं भाषा-विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- भाषा परिवर्तन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
भाषा परिवर्तन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
भाषा, परिवर्तन के अनेक कारण है। ये कारण हैं - शारीरिक, मानसिक, भौतिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक, सामाजिक आदि। इस प्रकार भाषा परिवर्तन के प्रमुख रूप से दो कारण हो सकते हैं-
(i) बाह्य कारण शब्द के उच्चारण में परिवर्तन।
(ii) आन्तरिक कारण शब्द के अर्थ में परिवर्तन।
बाह्य कारण - दो प्रकार के होते हैं-
(i) साक्षात् कारण
(ii) आनुषंगिक कारण
साक्षात् कारण के दो भेद होते हैं-
(क) प्रयत्न लाघव
(ख) शब्दों आदि की रचना में सादृश्य।
आनुषंगिक कारणों के रूप से प्रकार हैं-
(अ) राजनैतिक, धार्मिक, व्यापारिक, भौगोलिक आदि कारणों से विभिन्न जातियों, संस्कृतियों और भाषाओं में परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध।
(ब) सभ्यता का विकास
(स) नवीन वैज्ञानिक आविष्कार
(द) अन्य प्रदेशों के साथ सम्बन्ध
(य) प्रवास।
आन्तरिक कारण - भाषा-परिवर्तन के आन्तरिक कारण निम्न है -
(१) प्रयत्न लाद्यव
(२) बल
(३) भावातिरेक
(४) अपूर्ण अनुकरण
(५) जातीय मनोवृत्ति
(६) सादृश्य
भाषा परिवर्तन के बाह्य कारण - भाषा परिवर्तन के बाह्य कारण निम्नलिखित हैं-
(१) राजनैतिक, भौगोलिक, धार्मिक, कारणों से भाषा में परिवर्तन - इन कारणों से भाषा में परिवर्तन होता है। जलवायु की भिन्नता का भाषा पर पर्याप्त प्रभाव पड़ता है। देश की स्थिति जीविका, रहन-सहन का भी भाषा पर प्रभाव पड़ता है। मनुष्य की जीविका का प्रभाव भी भाषा पर पड़ता है और उसके प्रभाव के कारण भाषा में नित्य परिवर्तन होते रहते हैं। जिन कारणों को अपनी जीविका यापन के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता है। उनकी भाषा में मार्दव अधिक होता है। अपेक्षा उनकी जिनको जीवन- यापन की सभी सुविधायें सरलता से मिल जाती है।
(२) सभ्यता का विकास - देश में विभिन्न संस्कृतियों के मिलन के फलस्वरूप भी भाषा का विकास होता है। यही कारण है कि जब-जब देश में सांस्कृतिक आन्दोलन हुए, भाषा में परिवर्तन हुए भाषा में विभिन्न संस्कृतियों का सम्मिलन हुआ।
(३) नवीन वैज्ञानिक आविष्कार - विज्ञान में नित्य नये-नये आविष्कार होते रहते हैं। जिनके कारण भाषा में नये शब्द मिलते हैं और भाषा का विकास होता है। अनेक प्रकार के पारिभाषिक शब्दों का निर्माण विज्ञान के कारण ही होता है।
(४) अन्य प्रदेशों के साथ सम्बन्ध - अन्य प्रदेशों के साथ सम्बन्ध होने से वहाँ की सामाजिक अवस्था का प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण भाषा का विकास होता है। सम्बन्ध अच्छे हो या बुरे शान्ति के हो या युद्ध से भाषा पर उनका प्रभाव पड़ता है
(५) प्रयास - एक देश के लोग जब दुसरे देश में बस जाते है तो अपनी भाषा के कुछ शब्दों का वहाँ की भाषाभाषियों को देते हैं और वहाँ के कुछ शब्द स्वयं अपनी भाषा के लिए ग्रहण कर लेते हैं।
भाषा के आन्तरिक कारण - आन्तरिक कारणों में वे कारण आते हैं जो बिना किसी वाह्य प्रभाव के वक्ता में स्वयं उत्पन्न होते हैं। आन्तरिक कारण निम्न हैं-
(१) प्रयत्न - लाघव भाषा के विकास का मूल कारण प्रयत्न लाघव है। मनुष्य का स्वभाव है कि वह अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए कम से कम प्रयत्न करना चाहता है और यह सुविधा ही प्रयत्न लाघव कही गयी है। प्रयत्न लाघव में प्रयुक्त होते है-
(अ) भाषा के वे रूप जो अधिकता से रोजमर्रा की बोलचाल में प्रयुक्त होते हैं
(ब) ध्वनि आगम - अपनी सुविधा के लिए नयी ध्वनियाँ का आगमन भी भाषा में परिवर्तन कर देता है।
(स) जब दो ध्वनियाँ पास-पास आती है तो प्रयत्न लाघव के अनुसार किसी एक ध्वनि लोप का लोप हो जाता है।
(द) विकार - जिन पदों में स, र य न आदि ध्वनियाँ रहती हैं उनमें प्रायः परस्पर विनिमय हो जाता है।
(य) समीकरण, विषमीकरण एवं स्वर भक्ति से भी प्रयत्न लाघव होता है।
(२) बलाघात - बोलते समय वाक्य के समस्त शब्दों में एक सा जोर नहीं पड़ता। कहीं पर अधिक बल देते है किसी शब्द को ऊँची आवाज में बोलते हैं, कहीं नीची कर देते है। भाषा में बल और मात्रा का अत्यधिक महत्व है।
(३) अपूर्ण अनुकरण - भाषा अनुकरण से सीखी जाती है। परन्तु हमें उसे दूसरे से उसी रूप में नहीं सीख पाते। सीखते समय कुछ न कुछ परिवर्तन अवश्य हो जाता है। अवयव की भिन्नता ध्वनि को कभी, मानसिक स्तर में परिवर्तन एवं जानबूझकर परिवर्तन से भी अपूर्ण अनुकरण होता है।
(४) भावातिरेक - भावावेश के कारण भी शब्दों में परिवर्तन हो जाता है।
(५) सादृश्य - पहले से विद्यमान शब्दों के वजन पर नये शब्दों का निर्माण सादृश्य कहलाता है। सादृश्य का भाषा के विकास में बहुत बड़ा हाथ है। आज भी बहुत से हिन्दी लेखकों की वाक्य रचना अंग्रेजी लेखकों के सादृश्य पर है।
(६) जातीय मनोवृत्ति - किसी भी जाति की मानसिक स्थिति भी भाषा के विकास में सहायक होती है। यदि किसी भी देश के वासियों की मानसिक स्थिति शान्त है तो वहाँ की भाषा में कोमलकान्त पद्यावली का अधिक्य होगा।
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- प्रश्न- निम्नलिखित क्रियापदों की सूत्र निर्देशपूर्वक सिद्धिकीजिये।
- १. भू धातु
- २. पा धातु - (पीना) परस्मैपद
- ३. गम् (जाना) परस्मैपद
- ४. कृ
- (ख) सूत्रों की उदाहरण सहित व्याख्या (भ्वादिगणः)
- प्रश्न- निम्नलिखित की रूपसिद्धि प्रक्रिया कीजिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित प्रयोगों की सूत्रानुसार प्रत्यय सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित नियम निर्देश पूर्वक तद्धित प्रत्यय लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित का सूत्र निर्देश पूर्वक प्रत्यय लिखिए।
- प्रश्न- भिवदेलिमाः सूत्रनिर्देशपूर्वक सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- स्तुत्यः सूत्र निर्देशकपूर्वक सिद्ध कीजिये।
- प्रश्न- साहदेवः सूत्र निर्देशकपूर्वक सिद्ध कीजिये।
- कर्त्ता कारक : प्रथमा विभक्ति - सूत्र व्याख्या एवं सिद्धि
- कर्म कारक : द्वितीया विभक्ति
- करणः कारकः तृतीया विभक्ति
- सम्प्रदान कारकः चतुर्थी विभक्तिः
- अपादानकारकः पञ्चमी विभक्ति
- सम्बन्धकारकः षष्ठी विभक्ति
- अधिकरणकारक : सप्तमी विभक्ति
- प्रश्न- समास शब्द का अर्थ एवं इनके भेद बताइए।
- प्रश्न- अथ समास और अव्ययीभाव समास की सिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- द्वितीया विभक्ति (कर्म कारक) पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- द्वन्द्व समास की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- अधिकरण कारक कितने प्रकार का होता है?
- प्रश्न- बहुव्रीहि समास की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- "अनेक मन्य पदार्थे" सूत्र की व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए।
- प्रश्न- तत्पुरुष समास की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- केवल समास किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अव्ययीभाव समास का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- तत्पुरुष समास की सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कर्मधारय समास लक्षण-उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- द्विगु समास किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं?
- प्रश्न- द्वन्द्व समास किसे कहते हैं?
- प्रश्न- समास में समस्त पद किसे कहते हैं?
- प्रश्न- प्रथमा निर्दिष्टं समास उपर्सजनम् सूत्र की सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- तत्पुरुष समास के कितने भेद हैं?
- प्रश्न- अव्ययी भाव समास कितने अर्थों में होता है?
- प्रश्न- समुच्चय द्वन्द्व' किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'अन्वाचय द्वन्द्व' किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइये।
- प्रश्न- इतरेतर द्वन्द्व किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समाहार द्वन्द्व किसे कहते हैं? उदाहरणपूर्वक समझाइये |
- प्रश्न- निम्नलिखित की नियम निर्देश पूर्वक स्त्री प्रत्यय लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित की नियम निर्देश पूर्वक स्त्री प्रत्यय लिखिए।
- प्रश्न- भाषा की उत्पत्ति के प्रत्यक्ष मार्ग से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा की परिभाषा देते हुए उसके व्यापक एवं संकुचित रूपों पर विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- भाषा-विज्ञान की उपयोगिता एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भाषा-विज्ञान के क्षेत्र का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भाषाओं के आकृतिमूलक वर्गीकरण का आधार क्या है? इस सिद्धान्त के अनुसार भाषाएँ जिन वर्गों में विभक्त की आती हैं उनकी समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ कौन-कौन सी हैं? उनकी प्रमुख विशेषताओं का संक्षेप मेंउल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय आर्य भाषाओं पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- भाषा-विज्ञान की परिभाषा देते हुए उसके स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भाषा के आकृतिमूलक वर्गीकरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अयोगात्मक भाषाओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- भाषा और बोली में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- मानव जीवन में भाषा के स्थान का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- भाषा-विज्ञान की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भाषा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संस्कृत भाषा के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- संस्कृत साहित्य के इतिहास के उद्देश्य व इसकी समकालीन प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- ध्वनि परिवर्तन की मुख्य दिशाओं और प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ध्वनि परिवर्तन के प्रमुख कारणों का उल्लेख करते हुए किसी एक का ध्वनि नियम को सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भाषा परिवर्तन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैदिक भाषा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक संस्कृत पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संस्कृत भाषा के स्वरूप के लोक व्यवहार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ध्वनि परिवर्तन के कारणों का वर्णन कीजिए।